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असम में एक छात्रा की रिहाई की उठी मांग – डॉ. दिव्यज्योति सैकिया ने की सरकार की आलोचना

असम, गुवाहाटी : असम में एक छात्रा को कथित रूप से प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन अल्फा के समर्थन में कविता लिखने के आरोप में जेल में बंद रखने पर आक्रोश बढ़ता जा रहा है। असम के जोरहाट कॉलेज में गणित के द्वितीय वर्ष की छात्रा 19 वर्षीय वर्षाश्री नामक छात्रा को 18 मई को गोलाघाट से गिरफ्तार कर लिया गया था। पुलिस ने उन पर गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) की धारा 10 और 13 के तहत आरोप लगाया गया था।

इस वक्त वह गोलाघाट जिला जेल में बंद हैंI मामले की सुनवाई फिलहाल गौहाटी उच्च न्यायालय में चल रही है और अगली सुनवाई 21 जुलाई को होगी। इस बीच उनकी रिहाई की मांग जोर पकड़ने लगी है। उनकी गिरफ्तारी के खिलाफ लोगों में भारी आक्रोश है। गौरतलब है कि पुलिस की ओर से दायर की गई प्राथमिकी में कहा गया है कि उनकी असमिया में लिखी गई कविता में अल्फा का समर्थन एक बड़े आपराधिक साजिश और भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने का इरादा की ओर इशारा करता है। वहीं दूसरी ओर उनकी रिहाई को मांग को लेकर बुद्धिजीवियों और विपक्षी नेताओं ने आवाज उठाई है। इस संदर्भ में अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए असम के राष्ट्रीय स्तर के मानवाधिकार एवं सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. दिव्यज्योति सैकिया ने उनकी रिहाई की मांग की है।

उनका कहना था कि केवल कविता लिखने के आरोप में किसी को गिरफ्तार करना न केवल उस नागरिक के मौलिक अधिकार का हनन है बल्कि बुलंद आवाज को दबाने की कोशिश भी है। उन्होंने कहा कि वह एक नवोदित कवयित्री हैं, जो पत्रों के माध्यम से अपनी अदम्य मुक्त-प्रवाहित आत्माओं को व्यक्त करती रही हैं। ऐसे में पिछले 2 महीने से भी अधिक समय से उसे गिरफ्तार कर जेल में रखने से बहुत सारे सवाल खड़े हो रहे हैं। उनका कहना था कि राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार कर जेल में डालना अब कोई नई बात नहीं है। उन्होंने सरकार की कड़ी शब्दों में आलोचना करते हुए कहा कि यह सरकार की बहुत बड़ी चूक है।